Indian Army | भारतीय थल सेना
हमारी भारतीय थल सेना की खासियत
प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी के दिन को भारतीय थल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भारत की सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह मुक्त हुई थी आइये जानते हैंं भारतीय थल Indian Army सेना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Important Information about the Indian Army
भारतीय थल सेना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Important Information about the Indian Army
- वैसे तो भारत में थल सेना की स्थापना 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई थी
- लेकिन भारतीय थल सेना (Indian army) की स्थापना सन् 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के तुंरत बाद हुई थी
- इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली (new Delhi) में है
- भारतीय थल सेना का नियंत्रण एवं संचालन भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है
- भारतीय थल सेना विश्व की दूसरी सबसे बडी सेना है
- भारतीय थल सेना में फील्ड मार्शल का पद उच्चतम माना जाता है
- यह एक मानद पद है जो राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता हैै
- अब तक 27 व्यक्ति थल सेना प्रमुख (Army Chief) रह चुके हैं
- भारत के पास बहुत बडी घुडसवार सेना भी है
- भारतीय सेना का सीयाचीन ग्लेशियर देश में सबसे अधिक ऊॅचाई पर स्थित का युद्ध भूमि है
Indian airforce | भारतीय वायुसेन
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भारतीय वायुसेना को रॉयल एयरफोर्स ऑफ ब्रिटेन के नाम से जाना जाता था, जब उन्होंने बर्मा में जापानी फौज के कदम रोक दिए थे. इंडियन एयर फोर्स के बारे में ऐसी ही और बातें जानते हैं...
भारतीय वायुसेना दुनिया की चौथी सबसे अच्छी ऑपरेशनल एयरफोर्स मानी जाती है, जो हर साल 2,40,000 के फ्लाइंग आवर्स निकालती है.
भारतीय वायुसेना में 1,50,840 कर्मचारी हैं. जबकि 1,467 विमान अभी सेवा में हैं.
भारतीय वायुसेना के पास 616 लड़ाकू विमान, 359 हेलीकॉप्टर, 33 अटैक हेलीकॉप्टर और 182 ट्रेन एयरक्राफ्ट है.
10वीं पास के लिए इंडियन एयरफोर्स में वैकेंसी, सैलरी 20 हजार रुपये
वायु सेना को पायलट ऑफिसर के तौर पर सबसे पहले एच सी सरकार, सुब्रतो मुखर्जी, भुपेंदर सिंह, ए बी अवान और अमरजीत सिंह मिले.
एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी वायुसेना के पहले भारतीय चीफ ऑफ स्टाफ थे.
वायुसेना ने कारगिल जंग के दौरान हिमालय में 14-18 हजार फुट की ऊंचाई पर दुश्मनों को मार गिराया.
जल्द ही फ्रांस से हमें 36 रफेल फाइटर जेट मिलेंगे, जिनकी लागत है 7.8 अरब यूरो
Indian navy |भारतीय नौसेना
जिस प्रकार थल सेना (army) देश की जमीन से सुरक्षा प्रदान करती है और वायु सेना (Air Force) देश की वायु मार्ग से सुरक्षा प्रदान करती है उसी प्रकार जल सेना यानि भारतीय नेवी देश के जल मार्ग से देश को सुरक्षा प्रदान करती है तो आइये जानते हैं भारतीय नौसेना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Important information about the Indian Navy
भारतीय नौसेना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी – Important information about the Indian Navy
- भारतीय नौसेना की स्थापना सन 1830 में ब्रिटिश शासन काल के समय हुुई थी
- भारतीय नौसेना का पहले नाम रॉयल इंडियन नेवी था
- भारतीय नौसेना का मुख्यालय भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है
- इस समय भारतीय नौसेना में लगभग 55,000 नौसैनिक कार्यरत हैं
- भारतीय नौसेना विश्व की पॉचवीें सबसे बडी नौसेना हैं
- राम दास कटारी पहले भारतीय थे जिन्हें वर्ष 1958 में इंडियन नेवी का चीफ ऑफ स्टाफ बनाया गया था
- भारतीय नौसेना ने अपनी पहली कार्यवाही वर्ष 1961 में पुर्तगाल नेवी के खिलाफ की थी
- भारतीय नौसेना ने देश से बाहर जाकर भी कई ऑपरेशन किये हैं
- दुनियॉ की सबसे तेज क्रूज मिसाइल भारतीय नौसेना के पास है
- भारतीय नौसेना विश्व की पहली नौसेना है जिसने ऐवरेस्ट की चोटी को छुआ है
- इंडियन नेवी का अपना पहला एयरक्रॉफ्ट आईएनएस विक्रांत (Ins vikrant) था
- इसरो (ISRO) ने नेवी के लिए अपना एक उपग्रह GSAT-7 भी बनाया है
भारत की 11 दमदार मिसाइलें, जिनसे डरते हैं दुश्मन
नई दिल्ली। पृथ्वी, अग्नि, आकाश, आदि मिसाइलों को आप बाखूबी जानते होंगे, लेकिन क्या आपको भारत की अन्य मिसाइलों के बारे में मालूम है, जिनसे पड़ोसी मुल्कों समेत कई दुश्मन डरते हैं। अगर नहीं, तो आज आपको पता चल जायेगा कि मिसाइलों के मामले में भारत कितना आगे है। सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि भारत में डीआरडीओ ही मिसाइलें बनाता है। अब तक तैयार की गईं मिसाइलों में कई ऐसी भी हैं, जिनकी टेक्नोलॉजी एवं उपकरण विदेशों से खरीदे गये हैं।
डीआरडीओ द्वारा निर्मित मिसाइलें भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना को समर्पित कर दी गई हैं। चलिये बात करते हैं भारत को शक्तिशाली बनाने वाली कुछ मिसाइलों की। जिन्हें देख बड़े-बड़े देशों के होश उड़ जाते हैं।
पृथ्वी मिसाइल ये एक ऐसी मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना की तीनों इकाईयों- थल, वायु और नौसेना में होता है। तीनों के लिये पृथ्वी मिसाइल के अलग-अलग वर्जन बनाये गये हैं।
पृथ्वी 1: यह खासतौर से थल सेना के लिये बनायी गई है, जिसकी रेंज 150 किलोमीटर है। यह अपने साथ 1000 किलो बारूद ले जाने में सक्षम है। इसे जमीन से दागा जाता है।
पृथ्वी 2: यह विशेष रूप से वायुसेना के लिये बनायी गई है। इसकी मारक्ष क्षमता 250 किलोमीटर तक होती है और 500 किलो बारूद भरा जा सकता है। इसे फाइटर प्लेन से दागा जाता है।
पृथ्वी 3: यह मिसाइल खास तौर से नौसेना के लिये बनायी गई है। किसी भी लड़ाकू जहाज से इस मिसाइल का प्रक्षेपण किया जा सकता है। इसकी रेंज 350 किलोमीटर है।
अग्नि मिसाइल अग्नि-1: इसमें एसएलवी-3 बूस्टर का प्रयोग किया जाता है इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर की होती है। इसमें लिक्विड फ्यूल भरा जाता है। 28 मार्च 2010 में इसका पहला परीक्षण हुआ था। यह मिसाइल अपने साथ परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है। अग्नि 2: परमाणु क्षमता वाली इस मिसाइल की रेंज 3000 किलोमीटर है। यह अपने साथ 1000 किलो सामग्री तक ले जाने में सक्षम है। अग्नि 3: जुलाई 2006 में भारत ने अग्नि 3 का सफल परीक्षण किया था। इसकी मारक क्षमता 3000 किलोमीटर तक है। हालांकि इसे 4000 किलोमीटर तक भी बढ़ाया जा सकता है। इसमें 600 से 1800 किलो तक परमाणु सामग्री भरी जा सकती है। अग्नि 4: 4000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखने वाली इस मिसाइल की जद में पूरा पाकिस्तान व आधे से ज्यादा चीन आ सकता है। इसका परीक्षण 2011 में किया गया था। यह भी परमाणु क्षमता वाली मिसाइल है। अग्नि 5: अप्रैल 2012 को अग्नि 5 का परीक्षण किया गया, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। इसकी जद में पूरा चीन आ जाता है। इसकी रेंज 5500 किलोमीटर है, जिसे 7000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है। इसे 2015 को भारतीय सेना को सौंप दिया जायेगा।
धनुष मिसाइल यह मिसाइल असल में पृथ्वी 3 से बनी है, जो खास तौर से नौसेना में इस्तेमाल होती है। इसकी रेंज 250 से 350 किलोमीटर है। इस मिसाइल का निर्माण डीआरडीओ में साल 2000 में किया गया था। खबर है कि इसके कई अलग-अलग वर्जन आयेंगे। इसे पहली बार आईएनएस सुभद्रा से छोड़ा गया था
शौर्य मिसाइल कम दूरी तक मार करने वाली यह मिसाइल भारतीय थल सेना के लिये बनाई गई। इसमें 1000 किलोग्राम तक परमाणु सामग्री भरी जा सकती है। इसकी रेंज 600 किलोमीटर की है।
सागरिका मिसाइल सागरिका का मतलब होता है समुद्र से पैदा होने वाली। नाम से ही आप समझ गये होंगे कि यह नौसेना के लिये है। इस मिसाइल का प्रक्षेपण सीधे पंडुब्बी से किया जाता है। इसकी लंबाई 8.5 मीटर की है और 500 किलो तक बारूद ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल का निर्माण 1991 में शुरू हुआ और 2001 में तैयार हो गई। उसके बाद नौसेना को दे दी गई। इस मिसाइल की रेंज 750 किलोमीटर है।
निर्भय मिसाइल नाम से ही पता चलता है कि इस मिसाइल को किसी का डर नहीं। जी हां यह सबसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसका इस्तेमाल थल, जल और वायु तीनों सेनाओं के लिये किया जायेगा। निर्भय की रेंज 1000 किलोमीटर होगी। इसका निर्माण डीआरडीओ में चल रहा है। संभवत: इसी साल के अंत तक इसका परीक्षण किया जाये।
मोक्षित मिसाइल इस मिसाइल की तकनीक रूस से इंपोर्ट की गई है। इसकी रेंज 120 किलोमीटर है, जिसका इस्तेमाल सिर्फ नौसेना में किया जा सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइल यह सुपर सोनिक मिसाइल है, जिसे डीआरडीओ ने रूस के एनपीओ के साथ मिलकर बनाया गया है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है। इसमें 300 किलो तक बारूद भरा जा सकता है। इसे थल सेना और नौसेना के लिये बनाया गया है। इसकी गति 2.5 से 2.8 मैक स्पीड है। यह दुनिया की सबसे तेज़ गति से चलने वाली क्रूज़ मिसाइल है। भारत 2011 तक 110 ब्रह्मोस मिसाइलें तैयार कर चुका है। इस साल यह संख्या और बढ़ गई है।
आकाश मिसाइल यह मिसाइल 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर 30 किलोमीटर की दूरी पर उड़ते हुए लड़ाकू विमान को निशाना बना सकती है। इस में परमाणु सामग्री भी भरी जा सकती है। यह एक बार में कई टार्गेट पर निशाना साध सकती है।
प्रहार मिसाइल यह भारत की कम रेंज वाली एक शक्तिशाली मिसाइल है। इसकी रेंज 150 किलोमीटर की है। यह खासतौर से थल सेना और वायुसेना के लिये बनायी गई है। यह मिसाइल मात्र 250 सेकेंड में 150 किलोमीटर की दूरी तय करती है
surya missile
सूर्या मिसाइल यह मिसाइल अभी तैयार नहीं है। इसका निर्माण 1994 से डीआरडीओ में चल रहा है। हालांकि भारत सरकार ने अभी तक अधिकारिक रूप से इस मिसाइल के बारे में एक भी खुलासा नहीं किया है। यह भारत की पहली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल होगी। इसकी क्षमता अग्नि से कहीं अधिक 5000 से 10000 किलोमीटर तक मार करने वाली होगी। सामने फोटो सूर्या मिसाइल की नहीं है, क्योंकि इस मिसाइल की अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
दोस्तों,मैंने यह पोस्ट देश के लिए लिखा है और जो अपने देश से असली प्रेम करता होगा वो like करेंगे कमेंट करेंगे शेयर करेंगे धन्यवाद.......